A Simple Key For Shodashi Unveiled
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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥
नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥
आस्थायास्त्र-वरोल्लसत्-कर-पयोजाताभिरध्यासितम् ।
During the context of power, Tripura Sundari's elegance is intertwined with her power. She is not merely the symbol of aesthetic perfection but additionally of sovereignty and triumph over evil.
The supremely gorgeous Shodashi is united in the heart with the infinite consciousness of Shiva. She eliminates darkness and bestows light.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥
क्या आप ये प्रातः स्मरण मंत्र जानते हैं ? प्रातः वंदना करने की पूरी विधि
देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं
रविताक्ष्येन्दुकन्दर्पैः शङ्करानलविष्णुभिः ॥३॥
श्रींमन्त्रार्थस्वरूपा श्रितजनदुरितध्वान्तहन्त्री शरण्या
श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।
कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार more info महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।